The best Side of sidh kunjika



देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि

इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे। अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।

यस्तु कुञ्जिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।

मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।

देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।

इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नीः, वां वीं वागधीश्वरी तथा।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः

On chanting normally, Swamiji states, “The more we recite, the greater we pay attention, and the more we attune ourselves on the vibration read more of what is getting mentioned, then the more we will inculcate that Perspective. Our intention amplifies the Perspective.”

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

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